"गर्मी के दिन हैं आयें" #Summerseason | Garmiyon par ek kavita_Ankit AKP


"गर्मी के दिन हैं आयें" #Summerseason

फिर गर्मी के दिन हैं आयें
साथ धूप की छाया लायें
पंखा,कूलर,फ्रिज सब काम पे आयें
जो बिल बिजली का दुगुना लायें
भई! गर्मी के जो दिन हैं आयें;
दिन-दोपहर को मानो जैसे
सूरज दादा कहर बरसाए
ऐसे में घर की चार दीवारी ही भाए
जो उस कहर से हमें बचाए
भई! गर्मी के तो दिन हैं आयें;
गर्म मौसम का सफर है ऐसा
सारी दुनिया झुलस रही है
काम-काज कुछ मेहनत नहीं
दुनिया फिर भी पसीने में डूब रही है
वाकई! गर्मी के दिन हैं आयें;
दिन सूरज से तप गया
रात दिन के तपन से तप गया
ये गर्मी के दिन क्या आयें
इंसान सुकून भरी नींद को तरस गया;
गर्म मौसम का हाल सुनाने
सारे समाचार का हाल बेहाल रहा
हाय! ये सूरज तो यारो
पूरा दिन अंगार रहा;
गर्म मौसम की चाल तो देखो
हवा को भी लपेट लिया
जो कानों को सायं....से लगती
उसको 'लू' के नाम से बदनाम किया;
गर्मी के मौसम में यारों
ढलते सूरज का इन्तजार है रहता
हमें रात की चांदनी से प्यार है रहता
सुबह की मदमस्त हवा को छोड़
हर पल जीना दुश्वार है रहता;
न खेल मुनासिब लगता है
न बाहर जाना अच्छा लगता है
गर्मी के दिन में तो यारों
टीवी का प्रोग्राम ही अच्छा लगता है;
ये गर्मी के दिन हैं यारों
जो साथ धूप की छाया लायें
न स्कूल जायें न कॉलेज जायें
बस घर में ही आराम फरमायें;
गर्म मौसम का असर तो देखो
कि आलस भी हममें घर कर गई
जहाँ तहाँ न जाने कब
ये तो बेवक्त ही हमको नींद दे गई;
अब गर्मी का मौसम है तो क्या
आइसक्रीम,शरबत,ठण्डा भी तो है
बस इन्हीं के स्वाद ठिकानों में
गर्मी भी हमको भातो है;
ये गर्मी के दिन हैं यारों
भूले भूलाए न भूले है
न काटे कटाए कटे है
बस अब तो ये सोचकर ही यारों
दिल हमारे दहके है
कि गर्मी के दिन हैं आयें
जो साथ धूप की छाया लायें |
                                           Published By ANKIT AKP


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