मौसम के मिज़ाज में.. Love poetry
भाग-1 "मौसम के मिजाज में" "मौसम के मिज़ाज में सावन की बौछार पड़ी है एक धुंधला सा चेहरा है सामने जो बा…
भाग-1 "मौसम के मिजाज में" "मौसम के मिज़ाज में सावन की बौछार पड़ी है एक धुंधला सा चेहरा है सामने जो बा…
बाजार सज गए हैं दिवाली है, सब बस इसी में रम गए हैं बाजार सज गए हैं! घर की दहलीज़ की दुकानें भी, दहलीज़ पार कर बाहर …
शायद वह मोहब्बत की तहज़ीब जानता है इसलिए वह अपनी मोहब्बत का सज़दा करता है शायद मोहब्बत खुदाई है वह ये जानता है इसलिए …
ज़िन्दगी के बेहिसाब सिक्कों से, मैंने अपने हिसाब के सिक्के चुन लिए इन हिसाबी सिक्कों की कीमत बेहिसाब करने, न जाने मैं…