"दिमाग के पैदल" Hindi Kavita
"कभी -कभी होता है न कि करना कुछ और होता है, हो कुछ और जाता है,, ऐसे ही कुछ दिमाग के पैदल हो जाते हैं, और उसमें कैसी ना…
"कभी -कभी होता है न कि करना कुछ और होता है, हो कुछ और जाता है,, ऐसे ही कुछ दिमाग के पैदल हो जाते हैं, और उसमें कैसी ना…
कुछ रुका कुछ चला सा हूँ मत पूछो किस कदर खला सा हूँ अपने और अपनों के दरमियान फंसा सा हूँ यूँ समझो अपने ही पंजों में क…
कब हुआ, कब न हुआ ये इश्क़ है, इसपे कब किसी का बस हुआ कभी नजरें मिलते - मिलाते, तो कभी मुस्कुराते ये इश्क़ यूँ ही नहीं …