"कविता - वो बातें याद आतीं हैं ('बचपन') "
"बातें जो पहले याद आतीं हैं फिर हंसातीं हैं और फिर, रुलातीं हैं बातें जो बेवक्त ही ज़हन में आतीं हैं कभी हसीन लम्हों…
"बातें जो पहले याद आतीं हैं फिर हंसातीं हैं और फिर, रुलातीं हैं बातें जो बेवक्त ही ज़हन में आतीं हैं कभी हसीन लम्हों…
"अपनी बातों के अल्हड़पन में वो अपने जज्बातों के नन्हेंपन से रूबरू कराती है अपनी हर इक अदा में वो बा'अदब मासूमि…