वो इंसान है /woh Inssan Hai_Ankit AKP

#वोइंसानहै

पता नहीं कौन है,
कहाँ से आया है ?
पहचान पूछो तो इंसान बताता है,
नाम पूछो तो काम बताता है
पता नहीं किस जगह,
किस जहान से आया है ?
वंश पूछो तो बन्दर याद दिलाता है,
मज़हब पूछो तो धर्म सिखाता है;
न किसी धर्म का भगवान है,
और न ही किसी मज़हब का अनुयायी है
पर हममें ही है वो, ये बताता है
पहचान हमारी अस्तित्व हमारा,
बस खुद से हमारा जुड़ा नाता समझाता है;
हर अच्छाई से उसका नाता है,
खुद के होने पर गर्व जताता है
हम इंसान का सार परिभाषित उससे
खुद का वो महत्व समझाता है
इंसानियत जिस भेष में बसती,
बस खुद को वही इंसान बतलाता है;
पर हम भी तो इंसान हैं आखिर
फिर क्यों खुद को हमसे अलग बताता है
शायद सच ही है
क्योंकि इंसान कहां अब इंसान रहा
इंसानियत से नाता टूट रहा
बुराई के घेरे में जो घिर जाए
बस वहीं इंसानियत दम तोड़ जाए;
बस इंसान वो वही बनकर आया है
बस हममें इंसानियत जगाने आया है
न जाने कितनी वजह हैं,
इंसान को अलग-अलग बांटने की
पर 'अच्छाई' वो बस एक यही वजह लेकर आया ह
 कि वो इंसान को इंसान बनाने आया है
पर साथ वो एक सवाल भी लाया है
कि क्यों जरूरत पड़ती है उसको ये बताने की,
कि इंसान है वो
और इस बात की शर्म भी उसको,
कि वो इंसान को इंसान बनाने आया है
वो इंसान है, वो इंसान है !
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1 Comments
  • Ankit Kumar
    Ankit Kumar 11 अक्तूबर 2018 को 9:29 pm बजे

    Please subscribe to read the Hindi poems and shayari and love shayari also. ..

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