Love Poetry_खुदा ने अपना सब कुछ तुझमें कर दिया / Khuda Ne Apna Sab Kuch Tujhmein Kar Diya
"खुदा ने भी क्या खूब गुस्ताख़ी की
जन्नत की परियों का सारा नूर,समेटकर तुझमें कर दिया
अकृत्रिम हवाओं को उसने,
तुझमें खुशबू-ए-फिजाएं कर दिया
आसमान का फलक खाली और,
तुझमें ही चाँद-तारें कर दिया
पृथ्वी के घूर्णन से उसके परिक्रमण तक
दिन से लेकर रात तक
उस खुदा ने तुझमें ही पूरा आकाशगंगा कर दिया
उसने तुझे इस कदर पाक भेजा,
कि तुझमें ही गंगा-जमुना का संगम कर दिया
अब क्या नदी, क्या द्वीप
क्या पर्वत, क्या पठार
क्या भूकम्प, क्या ज्वालामुखी
क्या सृजन, क्या विनाश
उस खुदा ने प्रकृति की हर क्रिया,
और हर हिस्से को तुझमें कर दिया
उसने तो तुझमें ही प्रकृति की गोद कर दिया
खुदा ने अपना सब कुछ तुझमें कर दिया;
अब क्या खुदा और क्या उसका जन्नत,
उसने तो तुझमें ही सारा जन्नत कर दिया
उस खुदा ने तुझमें ही अपना अक्स कर दिया!"
_अंकित कुमार पंडा [Ankit AKP]
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