"लिखता हूँ /Likhta Hu" Love Poetry_Ankit AKP

"बातों के दरमियान पनपती
अपनी मोहब्बत लिखता हूँ ,
तुझे देख होंठों पे जो मुस्कान सजती  
बस वही मुस्कान की छाप लिखता हूँ !
तेरी ही बातों में खोया
अपने आप को मदहोश लिखता हूँ ,
तू बेख़बर मेरे जिन एहसासों से
बस उन्हीं एहसासों के राग लिखता हूँ ,
जिसमें तू ही सुर तू ही ताल
ऐसी अपने प्यार की धुन लिखता हूँ ,
मैं तुझसे सजा वो संगीत लिखता हूँ !
घुलते - मिलते जिन एहसासों पर
मैं प्यार भरा एक संदेश लिखता हूँ ,
तुझे पता नहीं पर
तेरे नाम पे ही वो खत लिखता हूँ !
तेरे प्यार की खुशबू समेटकर ,
अपनी बातों की स्याही में घोलकर 
मैं एक - एक शब्द तेरे नाम लिखता हूँ ,
और तुझे तुझसे ही प्यार हो जाए 
तेरी तारीफों पर ऐसी - ऐसी बात लिखता हूँ ,
मैं तेरी खूबसूरती तेरी सादगी पर लिखता हूँ !
खुद को सामने रखकर तेरे 
मैं अपने ये एहसास छिपाकर लिखता हूँ ,
पर जो भी लिखता हूँ मैं
तुझे ही देखकर लिखता हूँ. "
-'अंकित कुमार पंडा'

Thanks for reading !!
"मैं उम्मीद करता हूँ कि आपको मेरी ये रचना पसन्द आई होगी!! "
Next Post Previous Post
No Comment
Add Comment
comment url