"दिल का दर्द" /"Dil Ka Dard" Latest Hindi Poetry 2019 _Ankit AKP
आजकल जो अन्दर मेरे रहता है
देखो कुछ कहता है या...
बस चुपचाप रहता है
कितनी भी खामोशी हो या कितना ही शोर
देखो कुछ फर्क पड़ता है या...
वैसा ही रहता है
पता नहीं ये कैसी हलचल है उसमें
जो वो लोगों के बीच भी रहता है
और बीच न हो तब भी रहता है
लोगों में बनकर 'खामोश',
और मुझसे पूछो...
तो दिल में भरा शोर सा रहता है
खाकर जिन्दगी की ठोकरें
सहकर चोट-दर्द और तकलीफें
वो कहीं तनहाई में पलता है
मुझसे पूछो, वो दिल में भरा शोर सा रहता है
दबाकर मनःभावों को अन्दर अन्दर
वो सारी भड़ास निकालने को तरसता है
आह भरी पड़ी है, पर कहाँ उफ्फ तक करता है
बस अपने आप में ही घुटता रहता है
न जाने कैसा दिल का दर्द है उसका
जो अन्दर मेरे भरा शोर सा रहता है...
_"अंकित कुमार पंडा"
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