मुझे रावण का जलना बिल्कुल समझ न आया_Ankit AKP
न जाने कैसा मंजर था उस रावण-दहन में
बच्चे की होंठों पे मुस्कान देखी,
तो रावण का जलना समझ में आया
लेकिन जब राम की भेष में धनुष उठाए उस शख़्स के चेहरे में एक सुकून भरी जैसी खुशी देखी,
तब मुझे रावण का जलना समझ बिल्कुल न आया
क्योंकि बच्चे के लिए तो जो सामने जलकर फूंका जा रहा था, वो तो बस एक पुतला है जिसके धूम-धड़ाके की आवाज से बच्चे के मन में किलकारी पैदा होती है और उसे देख वो मुस्कुराता है और वो मुस्कान समझ आती है
लेकिन उस शख़्स के लिए जो अपने आप में उस वक़्त तक राम था और वो जलता हुआ पुतला केवल एक पुतला नहीं था बल्कि साक्षात रावण था, क्योंकि सामने खड़ा वो धनुर्धारी शख़्स साक्षात राम का ही रूप था और इसी राम को उस रावण का वध करना था और तीर तानकर उसने ऐसा किया भी; पर जहाँ तक मुझे मालूम है, जब राम ने रावण का वध किया था तो अपने हाथों रावण का वध किये जाने से उस राम में तो निराशा थी
पर यहाँ....,
यहाँ तो उस शख़्स की जो राम की भेष में था, उसके होंठों पर तो एक अलग ही मुस्कान थी और ऐसे में इस राम के होंठों की मुस्कान देखकर वाकई,
मुझे रावण का जलना बिल्कुल समझ न आया