दीवानगी_Hindi Shayari 2019
आज देखी वो दीवानगी,
जो सर चढ़कर पागलपन हो गयी
पागलपन इस हद तक,
कि मोहब्बत से परे हो गयी
मोहब्बत थी भी, कि नहीं
क्या कहें....?
पर मोहब्बत के इस जुनून से,
सारी हद पार हो गयी
जो मोहब्बत से दूर होते-होते,
नफरत से भरपूर हो गयी
ये मोहब्बत कहाँ, बस एक दीवानगी थी
अब तो जाहिर नफरत सरे आम हो गयी ;
मोहब्बत जिसकी नफरत में घुल गयी
दीवानगी भी जिसकी अब खूंखार हो गयी
बस यहीं मोहब्बत उस दीवानगी की खुद-ब-खुद दूर हो गयी;
यूँ बदलता रूप मोहब्बत का
न जाने किस मोहब्बत की पहचान हो गयी....?
_'अंकित कुमार पंडा'
Thanks for reading 🙏🙏
"मैं उम्मीद करता हूँ कि आपको मेरी ये रचना पसन्द आई होगी!! "
thank you for sharing this Dard Shayari