Hindi Poetry "ज़िन्दगी के रंगरे़ज / Zindagi Ke Rangrez"_My Thoughts


मुस्कान की तीली से
चलो थोड़ी खुशी की चिंगारी जला लेने दो ;
किसी को जलाना है
मुझे जरा मेरे आसूँ छुपा लेने दो ;
बेख़बर कर मेरे हर दर्द को
मेरी झूठी हंसी की अफ़वाहें फैला लेने दो ;
इस ज़िन्दगी की हर तकलीफ को शर्मसार करना है
मुझे अपना अंदाज़-ए-बयां जरा बेशर्म कर लेने दो ;
अब ये जमाना जो मेरे साथ खड़ा है
उसको भी इस बेशर्मी का यकीन दिलाना है
मैं खुश बा-मुकम्मल हूँ, अंदाज़-ए-बयां कुछ यूं दिखाना है
इसलिए मुझे इस रंगमंच के लिए, खुद को तैयार कर लेने दो ;
मैं कहता हूँ इस रंगमंच में शामिल हर चेहरे पे मुस्कान होगी
मुझे जरा इस रंगमंच की शुरुआत की मशाल तो जला लेने दो ;
अब ये बात मैं हंसकर ही कहूँ
या आँसूओं में भिगोकर कहूँ
मैं बड़ा खुश हूँ
किस तरह मैं ऐसा झूठ कहूँ ;
पर सच कहता हूँ दिल कहता है कि सच कहूँ
पर डरता हूँ
लोगों को मेरे दु:ख-दर्द का पहाड़ इतना ऊंचा न लगे
कि इसके उस पार की खुशियां उन्हें दिखाई ही न दे ;
इसलिए मुझे इस बात पे रहम ही कर लेने दो
लोगों को इस दर्द से रुबरु कराऊं
इससे अच्छा मुझे उस झूठ से ही राब्ता कर लेने दो ;
झूठी हंसी की जो कम से कम खुशी है
मुझे उस खुशी को अन्तर्मन कर लेने दो ;
माना ज़िन्दगी तकलीफ से भरी है
पर मैं खुश हूँ, कम से कम ऐसा मान कर ही चल लेने दो ;
कुछ झूठ, कुछ फ़रेब
ऐसे ही होगा दु:खों का आँगन सफेद
रंग जाऊंगा खुशियों से,
ज़िन्दगी का घर-द्वार आँगन समेत
ऐसे में ज़िन्दगी कहाँ तकलीफ दे पायेगी
जो हम बन जायेंगे ज़िन्दगी के रंगरे़ज....!!
_'अंकित कुमार पंडा'

Thanks for reading 🙏🙏
"मैं उम्मीद करता हूँ कि आपको मेरी ये रचना पसन्द आई होगी!! "
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1 Comments
  • Unknown
    Unknown 18 जुलाई 2019 को 4:22 pm बजे

    Shabd Kam pad jayenge tariff likhne me. Speechless.

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