"मन हुआ / Mann Huaa"_Hindi Love Poetry 2019
तू सामने थी मेरे,
तो देख तुझे कुछ कहने का मन हुआ
आँखें क्या मिली वो झुककर कदमों पे जा गिरी
तो उन्हीं आँखों को तुमसे मिलाने का मन हुआ
तुझे यूं देख मन में तेरा नाम सा रह गया
तो तेरे लबों से अपना नाम सुनने का मन हुआ
बड़ा अरसा बीत गया
तो आज तेरी आवाज सुनने का मन हुआ
तू सामने थी मेरे, साथ थी मेरे
तो बस साथ तेरे बैठकर
दो पल गुजारने का मन हुआ ;
शमा कुछ यूं बंधा था कि पूरा माहौल शान्त था
तो इसी शान्त माहौल में बातों की चहचहाहट करने का मन हुआ
भरी - भरी सांसे, हो सुरसुरी हवा जैसे
तो दिल की धड़कन की ताल सुनने का मन हुआ
संग तेरे किसी गीत को
संगीत करने का मन हुआ
और धड़कन की ताल के साथ इसी संगीत को
तेरी तारीफ में पेश करने का मन हुआ
हाँ तू सामने थी मेरे, साथ थी मेरे
तो तेरे इसी साथ को रूह,
और तुझे इस रूह का सुकून करने का मन हुआ ;
मन भले चंचल ठहरा
पर आज तो तुझपे ही ठहर जाने का मन हुआ
तुझे देख ये क्या हुआ मन को
ये सब तुझे बताने का मन हुआ
पर मन तो वो सिर्फ मेरा था
कैसे मान लेता कि ऐसा ही कहीं तेरा भी मन हुआ
तो मन मार बस मलाल करने का मन हुआ
भूल जाऊं इन ख़्वाहिशों को
और साथ तेरे जो दो पल बिताने का मौका मिला
बस इसी पल को याद रखने का मन हुआ ;
सोचा बता भी दूँ मन की ये बातें
पर तेरे मन की न जानकर कैसे सुनता अपने मन की
तो दबाकर इन बातों को
फिर दूजे मन की करने का मन हुआ
इस दूजे मन की करने को
मैंने दिमाग में जरा फिर जोर डाला
तो तुझ संग बददिमागी करने का मन हुआ
हंसी फूटे चेहरे में तेरे
तो आगे तेरे बेवकूफियत करने का मन हुआ
नादान न सही पर आँखों में नादानी भरकर
तुझ संग बस नादानियाँ करने का मन हुआ
सच कहूँ....
तो इस दूजे मन की ही मुझको सुनने का मन हुआ
_'अंकित कुमार पंडा'
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Lajawab