'हम'/Hum


"हम! बोलने में ही वजन जान पड़ता है,, हम...! है न?
वैसे तो बहुत ही सामान्य शब्द है 'हम' पर इसके अंदर उतना ही गहरा भाव भी छिपा हुआ है, जितना कि ये अपने आप में सामान्य शब्द है. और वह भाव है - एक 'साथ' का.. हाँ साथ का...यह साथ ही है जो इस 'हम' शब्द को खास बनाता है और शायद यह इस साथ की ही खासियत है कि हम शब्द बोलने में एक वजन आता है,,, ऐसा लगता है न कोई ताकत बोल रही हो.
वैसे लगे भी क्यों न, किसी का किसी के साथ हो जाना, किसी ताकत से कम थोड़े न है... अगर इस 'हम' की बात करूं तो इसकी सबसे बड़ी खासियत यही है कि इसने अपने आप को अलग - अलग रूपों में बांटकर नहीं रखा है.. अगर एक को एक का साथ मिले तो भी वो हम कहलाता है ,एक को दो का साथ मिले, तीन का मिले, दस का मिले या सौ का,, वो जो साथ बनता है न,, उसे कहने के लिए, उसकी ताकत जताने के लिए 'हम' ही है...शायद इसीलिए कहा गया है कि एक और एक ग्यारह होते हैं,, क्योंकि एक और एक का होना मतलब दो लोगों का साथ होना और ग्यारह मतलब उस साथ की ताकत.. और ये ताकत किसी को बल के रूप में मिलती है, तो किसी को विश्वास में, तो किसी को खुशियों में..
'हम' एक भावों से भरा शब्द है, और भावों की सबसे मजबूत धारा रिश्तों में बहती है,, वह रिश्ता कैसा भी हो सकता है,, पर इस 'हम' का जिसके साथ सबसे गहरा रिश्ता होता है, वह है 'परिवार' ...वह परिवार जिसमें हमारी जान बनती भी है, और बसती भी है.. इसी परिवार को लेकर ही कहा गया है "वसुधैव कुटुम्बकम्" अर्थात् पूरी दुनिया एक परिवार है... और इसका मक़सद यही था कि दुनिया के सारे लोग एक परिवार की तरह एकजुट होकर रहे, प्यार से रहे, साथ रहे और ये साथ ही तो हमारी ताकत है,,हमारी मतलब 'हम' की.. लेकिन फिर भी लोग इस भावना से ज़्यादा इस भावना से जुड़े हुए हैं कि परिवार ही उनकी दुनिया है और हमारी दुनिया हमारे साथ है, जहाँ साथ भी है, प्यार भी है और खुशियाँ भी! "

Thanks for reading 🙏🙏
 "मैं उम्मीद करता हूँ कि आपको मेरी ये रचना पसन्द आई होगी!! "
Next Post Previous Post
No Comment
Add Comment
comment url