इश्क़/Ishq_Hindi love shayari
कब हुआ, कब न हुआ
ये इश्क़ है, इसपे कब किसी का बस हुआ
कभी नजरें मिलते - मिलाते, तो कभी मुस्कुराते
ये इश्क़ यूँ ही नहीं हुआ
जो दिल से दिल न मिले,
तो फिर क्या इश्क़ हुआ !
कहने को तो कसीदें तमाम पढ़े गए इस इश्क़ पर,
पर कौन कहता कि बस हुआ
यहाँ तो सभी हीर-रांझा, लैला-मजनू हुए
इस इश्क़ में जिसे देखो, वही शायर हुआ !
इस इश्क़ की मुकम्मल दास्तान है यूं
कभी हंसना तो कभी रोना हुआ
मिले तो बिछड़े, जो बिछड़े तो मिलना हुआ
अब जो ये सब न हुआ, तो ये इश्क़ फिर कहाँ पूरा हुआ !
पूरा तो बाद में, ये इश्क़ शुरू ही कुछ ऐसे हुआ
जो मिले ये नैन, तो रौशन चिंगारी सरे राह हुई
दिल पे काबू न हुआ,
तब जाकर ही तो ये इश्क़ हुआ
हय! ये इश्क़,
कभी चोरी-चोरी नजरों में, तो कभी सरेआम हुआ !
अब जो इश्क़ हुआ
इस इश्क़ में क्या न हुआ
सवालिया रात, दिन जवाब हुआ
एक - एक अंग भड़कता शबाब हुआ
उसके बिन बीता एक - एक पल,
हर लम्हें का अनगिनत हिसाब हुआ
और उसके साथ जो बीता,
वो वक़्त तो हमारे एहसास का हिजाब हुआ
और जब, जो ज़िक्र कोई छेड़े उसका
तो इन्हीं हिजाबी एहसासों को आँखों में लिए,
ये दिल बड़ा शर्मसार होता है
ऐ हय! देखो तो कैसे गाल लाल हुए जा रहें,
ये कहके फिर हमकों चिढ़ाना भी हुआ
मैं फिर भले हाँ करूँ या ना
सबकी जुबाँ पर गुनगुनाता बस एक ही गीत हुआ,
'कि सर्दी, जुकाम, न मलेरिया हुआ
ये गया यारों इसको, लवेरिया हुआ,
लवेरिया हुआ..., लवेरिया हुआ...'
चलो ये इश्क़ हुआ, ठीक है
एक-दूजे का साथ हुआ, ठीक है
पर मेरे ये समझने के परे हुआ
कि पहले एक-दूजे का साथ हुआ,
तब जाके दरमियां ये इश्क़ हुआ
या पहले दरमियां ये इश्क़ हुआ,
तब जाके एक-दूजे का साथ हुआ...
क्या हुआ, भेजा फ्राइ हुआ न?
अब क्या करे, इस इश्क़ में कैसे-कैसे न सवाल हुए
और जो जवाब हुए, वो भी खासा अटपटे हुए
अब मुझे ही देख लीजिए
आसमान में घूरते, बनता कोई चेहरा जब साफ हुआ
मुझे शक हुआ, क्या वाकई मुझे इश्क़ हुआ
हैरान था, परेशान था ये कैसे हुआ
पर चेहरे पे खिली जो मुस्कान थी न
और दिल पे जो एहसास था न,
मैंने कहा - ठीक! अगर ये इश्क़ है, तो इश्क़ ही सही
हाँ, चलो मैंने मान लिया
कि मुझे भी वो हुआ, जो सब को हुआ
हाँ! मुझे भी वो इश्क़ हुआ...
Thanks for reading 🙏🙏
"मैं उम्मीद करता हूँ कि आपको मेरी ये रचना पसन्द आई होगी!! "
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ये इश्क़ है, इसपे कब किसी का बस हुआ
कभी नजरें मिलते - मिलाते, तो कभी मुस्कुराते
ये इश्क़ यूँ ही नहीं हुआ
जो दिल से दिल न मिले,
तो फिर क्या इश्क़ हुआ !
कहने को तो कसीदें तमाम पढ़े गए इस इश्क़ पर,
पर कौन कहता कि बस हुआ
यहाँ तो सभी हीर-रांझा, लैला-मजनू हुए
इस इश्क़ में जिसे देखो, वही शायर हुआ !
इस इश्क़ की मुकम्मल दास्तान है यूं
कभी हंसना तो कभी रोना हुआ
मिले तो बिछड़े, जो बिछड़े तो मिलना हुआ
अब जो ये सब न हुआ, तो ये इश्क़ फिर कहाँ पूरा हुआ !
पूरा तो बाद में, ये इश्क़ शुरू ही कुछ ऐसे हुआ
जो मिले ये नैन, तो रौशन चिंगारी सरे राह हुई
दिल पे काबू न हुआ,
तब जाकर ही तो ये इश्क़ हुआ
हय! ये इश्क़,
कभी चोरी-चोरी नजरों में, तो कभी सरेआम हुआ !
अब जो इश्क़ हुआ
इस इश्क़ में क्या न हुआ
सवालिया रात, दिन जवाब हुआ
एक - एक अंग भड़कता शबाब हुआ
उसके बिन बीता एक - एक पल,
हर लम्हें का अनगिनत हिसाब हुआ
और उसके साथ जो बीता,
वो वक़्त तो हमारे एहसास का हिजाब हुआ
और जब, जो ज़िक्र कोई छेड़े उसका
तो इन्हीं हिजाबी एहसासों को आँखों में लिए,
ये दिल बड़ा शर्मसार होता है
ऐ हय! देखो तो कैसे गाल लाल हुए जा रहें,
ये कहके फिर हमकों चिढ़ाना भी हुआ
मैं फिर भले हाँ करूँ या ना
सबकी जुबाँ पर गुनगुनाता बस एक ही गीत हुआ,
'कि सर्दी, जुकाम, न मलेरिया हुआ
ये गया यारों इसको, लवेरिया हुआ,
लवेरिया हुआ..., लवेरिया हुआ...'
चलो ये इश्क़ हुआ, ठीक है
एक-दूजे का साथ हुआ, ठीक है
पर मेरे ये समझने के परे हुआ
कि पहले एक-दूजे का साथ हुआ,
तब जाके दरमियां ये इश्क़ हुआ
या पहले दरमियां ये इश्क़ हुआ,
तब जाके एक-दूजे का साथ हुआ...
क्या हुआ, भेजा फ्राइ हुआ न?
अब क्या करे, इस इश्क़ में कैसे-कैसे न सवाल हुए
और जो जवाब हुए, वो भी खासा अटपटे हुए
अब मुझे ही देख लीजिए
आसमान में घूरते, बनता कोई चेहरा जब साफ हुआ
मुझे शक हुआ, क्या वाकई मुझे इश्क़ हुआ
हैरान था, परेशान था ये कैसे हुआ
पर चेहरे पे खिली जो मुस्कान थी न
और दिल पे जो एहसास था न,
मैंने कहा - ठीक! अगर ये इश्क़ है, तो इश्क़ ही सही
हाँ, चलो मैंने मान लिया
कि मुझे भी वो हुआ, जो सब को हुआ
हाँ! मुझे भी वो इश्क़ हुआ...
Thanks for reading 🙏🙏
"मैं उम्मीद करता हूँ कि आपको मेरी ये रचना पसन्द आई होगी!! "
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