मौसम के मिज़ाज में.. Love poetry
भाग-1 "मौसम के मिजाज में" "मौसम के मिज़ाज में सावन की बौछार पड़ी है एक धुंधला सा चेहरा है सामने जो बा…
भाग-1 "मौसम के मिजाज में" "मौसम के मिज़ाज में सावन की बौछार पड़ी है एक धुंधला सा चेहरा है सामने जो बा…
बाजार सज गए हैं दिवाली है, सब बस इसी में रम गए हैं बाजार सज गए हैं! घर की दहलीज़ की दुकानें भी, दहलीज़ पार कर बाहर …
शायद वह मोहब्बत की तहज़ीब जानता है इसलिए वह अपनी मोहब्बत का सज़दा करता है शायद मोहब्बत खुदाई है वह ये जानता है इसलिए …
ज़िन्दगी के बेहिसाब सिक्कों से, मैंने अपने हिसाब के सिक्के चुन लिए इन हिसाबी सिक्कों की कीमत बेहिसाब करने, न जाने मैं…
मुस्कान की तीली से चलो थोड़ी खुशी की चिंगारी जला लेने दो ; किसी को जलाना है मुझे जरा मेरे आसूँ छुपा लेने दो ; बेख़बर…
आज देखी वो दीवानगी, जो सर चढ़कर पागलपन हो गयी पागलपन इस हद तक, कि मोहब्बत से परे हो गयी मोहब्बत थी भी, कि नहीं क्या…
मेरी आँखों से बहता पानी अगर ज़ाम है तो उसे ज़ाम ही रहने दो मेरी ये कहानी सरेआम ही रहने दो; कोई धोखा मिला है इस इश्क़ …
तू सामने थी मेरे, तो देख तुझे कुछ कहने का मन हुआ आँखें क्या मिली वो झुककर कदमों पे जा गिरी तो उन्हीं आँखों को तुमसे…
मेरी ये अदाएँ चुरा तो न लोगे मैंने जो इश्क़ किया भूला तो न दोगे देखकर जमाने भर की खुशी कहीं और मुझसे अपना दाम…
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"बातों के दरमियान पनपती अपनी मोहब्बत लिखता हूँ , तुझे देख होंठों पे जो मुस्कान सजती बस वही मुस्कान की छाप लिखता…
"AajKal Wo Bada Pareahaan Karti Hai Mujhe" ''आजकल वो बड़ा परेशान करती है मुझे... न जाने क्या बिग…
"अभी कुछ ज्यादा नहीं मांगा है बस प्यार से एक प्यार मांगा है ; दिल की धड़क से जिंदगी की हलक तक, एक-एक रूह पर जिस…
"तुझसे मैं क्या कहूँ 'हाँ' कहूँ कि 'ना' कहूँ ? सवाल-जवाब जो बीच हमारे तू बता मैं 'सवाल' …
" होली करीब है " होली करीब है देखना इस होली हम खुद को भी, तेरे करीब ले आयेंगे जल रहा हूँ तेरे इश्क़ में क…
आजकल जो अन्दर मेरे रहता है देखो कुछ कहता है या... बस चुपचाप रहता है कितनी भी खामोशी हो या कितना ही शोर देखो कुछ फर्क…
"आसमान में आसमान का तारा नजर आ गया नीचे नजरें झुकीं,तो जमीं पर चाँद नजर आ गया वो चाँद जिसकी खूबसूरती पर मेरा दिल …
"न जाने उसे क्या मौत आई थी जो देर रात वो मेरे घर आई थी वो भी ये जानने कि क्या वो मेरे ख़्यालों में आई थी, या…
"चौराहे पर खड़ा था मैं, आस लगाए लोगों की; चाहता था कोई, सुने मेरी पुकार मुझे क्या तकलीफ थी, पूछे कोई; मुझे आस …
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"खुदा ने भी क्या खूब गुस्ताख़ी की जन्नत की परियों का सारा नूर, समेटकर तुझमें कर दिया अकृत्रिम हवाओं को उसने…
"थोड़े-थोड़े लफ्जों में, कितना कुछ कहना रह गया प्यार था जो मेरा, वो बस मुझ तक ही रह गया रह गया वो प्यार मुझ त…